9. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_2.47 – 2.59

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1.

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2.

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कृपया यहाँ अपनी आयु लिखें ।

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3.

OPEN ENDED QUESTION

1 min • 1 pt

कृपया यहाँ अपना मोबाइल न० लिखें ।

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4.

OPEN ENDED QUESTION

2 mins • 1 pt

कृपया यहाँ अपना पता लिखें ।

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5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

जीव केवलमात्र कर्म करने का अधिकारी है, कर्मफल का नहीं । ऐसा क्यों ?

क्योंकि प्रत्येक जीव भगवान् श्रीकृष्ण का सेवक है अत: वह कर्मफल का अधिकारी नहीं होता है ।

क्योंकि जीव यदि कर्मफल के अधिकार की इच्छा करता है वह उसके भौतिक बंधन का कारण बनता है ।

क्योंकि सेवक को केवल कर्म करने का अधिकार होता है, कर्मफल का अधिकार केवल उसके स्वामी का होता है ।

क्योंकि जीव में कर्मफल भोगने का सामर्थ्य नहीं होता है, अत: भगवान् कर्मफलों को अपने नियन्त्रण में रखते हैं ।

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

जीव को स्वयँ को अपने कर्मों के फलों का कारण नहीं मानना चाहिए । ऐसा क्यों ?

क्योंकि सेवक अपने स्वामी के सामर्थ्य के कारण ही कर्म करने में सक्षम होता है ।

क्योंकि जीव को कर्म करने के लिए आवश्यक संसाधन एवं सुविधाएँ भगवान् द्वारा प्रदान की जाती हैं ।

क्योंकि इस भौतिक जगत् में प्रत्येक घटना भगवान् की इच्छा से ही घटित होती है ।

क्योंकि भौतिक जगत् के सारे कर्मफलों का मूल आधार आध्यात्मिक जगत् के कार्यकलाप ही होते हैं ।

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

1 min • 1 pt

कर्म कितने प्रकार के होते है ?

2

3

4

5

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