Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 47-48)

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 47-48)

KG - Professional Development

24 Qs

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History, Life Skills, Philosophy

KG - Professional Development

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24 questions

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1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

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उद्धव जी को कौन सी मुक्ति प्राप्त थी? (अध्याय 47)

सारूप्य

सायुज्य

2.

MULTIPLE SELECT QUESTION

45 sec • 1 pt

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श्रीकृष्ण को दोष देते हुए गोपियों ने किस किस उपमा का उल्लेख किया? (अध्याय 47)

भ्रमर की पुष्प में तभी तक रूचि है जब तक मधु चाहिए

जैसे प्रेमी का धन समाप्त वैसे ही वेश्या की उसमें रूचि

यदि शासन सुरक्षा करने में असमर्थ है तो नागरिक द्वारा त्याग

विद्यार्थी का शिक्षा समाप्त होने पर विद्यालय व गुरु-त्याग

दक्षिणा मिलने पर ब्राह्मण द्वारा यजमान का त्याग

3.

MULTIPLE SELECT QUESTION

2 mins • 1 pt

श्रीकृष्ण की अकृतज्ञता के विषय में राधारानी ने पौर्णमासी से सुने हुए कौन से उदाहरण दिए? (अध्याय 47)

क्षत्रिय की बजाय शिकारी की तरह वालि का वध

स्वार्थ हेतु शूर्पणखा को नाक कान काट कर कुरूप बनाना

उदार बलि महाराज को कौवे जैसे बांधकर धकेलना

दूध पिलाने आई पूतना को मारना

युवा विष्णुप्रिया के होते हुए संन्यास ग्रहण करना

4.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

गोपियों की ही तरह संतजन और महान भक्त क्रूर और कठोरहृदयी कृष्ण के विषय में वार्तालाप करना क्यों नहीं छोड़ पाते?(अध्याय 47)

श्री कृष्ण धोखेबाज हैं और काला जादू चलाकर सबको वश में कर लेते हैं

अद्वय श्रीकृष्ण का तथाकथित निर्दय चरित्र भी उतना ही आस्वादनीय है जितना कि दयालु चरित्र

5.

MULTIPLE SELECT QUESTION

2 mins • 1 pt

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श्रीमती राधारानी के अनुसार श्रीकृष्ण के लीलामृत की एक बूँद भी कान में पड़ने से क्या होता है? (अध्याय 47)

व्यक्ति तत्काल राग-द्वेष के स्तर से ऊपर उठ जाता है

भौतिक आसक्ति के संदूषण से पूर्णरूपेण मुक्त हो जाता है

भौतिक जगत की सभी प्रिय वस्तुओं का मोह त्याग देता है

साधु बनकर श्रीकृष्ण की खोज में भटकता रहता है

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

श्रीमती राधारानी का कृष्ण को दोष देना और उनके विषय में चर्चा का त्याग करने में असमर्थता, श्रेष्ठतम दिव्य भाव ________ के लक्षण हैं | (अध्याय 47)

अतिभाव

दुर्भाव

स्वभाव

महाभाव

7.

MULTIPLE SELECT QUESTION

2 mins • 1 pt

Media Image

भ्रमर रूप में दूत के दोबारा आने पर राधारानी ने कृष्ण के बारे में क्या विचार किया? (अध्याय 47)

श्रीकृष्ण अभी भी मुझ पर कृपालु हैं

उन्होंने मुझे अपने पास बुलाने के लिए भ्रमर को फिर भेजा है

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