Bhagavad Gita As It Is DAY-34 (8.22-28, 9.1-3)

Bhagavad Gita As It Is DAY-34 (8.22-28, 9.1-3)

KG - Professional Development

45 Qs

quiz-placeholder

Similar activities

9th class summative assessment 1st Hindi

9th class summative assessment 1st Hindi

9th Grade

40 Qs

Bhagavad Gita As It Is DAY-34 (8.22-28, 9.1-3)

Bhagavad Gita As It Is DAY-34 (8.22-28, 9.1-3)

Assessment

Quiz

Life Skills, Philosophy, Special Education

KG - Professional Development

Easy

Created by

Keśava Kṛṣṇa Dāsa

Used 22+ times

FREE Resource

45 questions

Show all answers

1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

यदि भगवान् सदैव अपने धाम में विराजमान रहते हैं, तो वे सर्वव्यापी कैसे हैं? (8.22)

यस्यान्तःस्थानि - अपनी परा व अपरा शक्तियों के द्वारा भगवान् सर्वव्यापी हैं

भगवान् सर्वव्यापी नहीं हैं, यदि ऐसा होता तो संसार में बुराइयां कैसे हो सकती थीं

2.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

सबसे महान, परमपुरुष भगवान् कैसी भक्ति से प्राप्त किये जा सकते हैं? (8.22)

50-50 भक्ति और भोग साथ-साथ

कर्म, ज्ञान, ध्यान, हठ योग से मिश्रित भक्ति

अविचल, अनन्यया, शुद्ध भक्ति

3.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

क्या वैदिक प्रमाण है कि एक भगवान् कृष्ण ही हैं, जिनके अनेको स्वांश हैं और जो अपने परमधाम गोलोकवृन्दावन में रहते हुए भी अपनी शक्तियों के माध्यम से सभी जगतों को सुचारु रूप से चलाते हैं? (8.22)

(गोपाल-तापनी उपनिषद् 3.2) एको वशी सर्वगः कृष्णः

(ब्रह्मसंहिता में 5.37) गोलोक एव निवसत्यखिलात्मभूतः

(श्वेताश्वतर उपनिषद् 6.8) कहा गया है – परास्य शक्तिर्विविधैव श्रूयते| स्वाभाविकी ज्ञानबलक्रिया च

4.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

वैकुण्ठ लोकों की अध्यक्षता करने वाले भगवान् के अनेकों स्वांश कितनी भुजाओं वाले हैं? (8.22)

2

3

4

6

8

5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

परमेश्वर के अनन्य, पूर्ण शरणागत भक्तों को इसकी चिन्ता क्यों नहीं रहती कि वे कब और किस तरह शरीर को त्यागेंगे? (8.23)

क्योंकि वे कर्मयोग, ज्ञानयोग तथा हठयोग जैसी आत्म-साक्षात्कार की विधियों पर आश्रित रहते हैं

क्योंकि वे सब कुछ कृष्ण पर छोड़ देते हैं और इस तरह सरलतापूर्वक, प्रसन्नता सहित भगवद्धाम जाते हैं

6.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

दिन के किस शुभमुहूर्त में संयोगवश भी शरीर त्यागने पर जन्म-मृत्यु के पुनरावर्तन से बचकर निर्विशेष ब्रह्मज्योति प्राप्त कर पाना सम्भव होता है? (8.24)

अग्निदेव के प्रभाव में

अन्धकार में

कृष्ण-पक्ष में

जब सूर्य दक्षिणायन में रहता है

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

कृष्णभावनामृत में शुद्धभक्त यदि अशुभ क्षण में शरीर त्यागे तो क्या उन्हें जन्म-मृत्यु के चक्र में पुनः लौटना होगा? (8.24)

उनको जन्म-मृत्यु के चक्र में लौटना नहीं पड़ता, लौटने का कोई भय नहीं

अशुभ क्षण में शरीर त्याग करने से उनके पुनरावर्तन की सम्भावना बनी रहती है

Create a free account and access millions of resources

Create resources

Host any resource

Get auto-graded reports

Google

Continue with Google

Email

Continue with Email

Classlink

Continue with Classlink

Clever

Continue with Clever

or continue with

Microsoft

Microsoft

Apple

Apple

Others

Others

By signing up, you agree to our Terms of Service & Privacy Policy

Already have an account?