Bhagavad Gita As It Is DAY-59 (16.11-20)

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18 questions

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1.

MULTIPLE SELECT QUESTION

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आसुरी प्रवृत्ति वालों के लिए जीवन का चरमलक्ष्य और मानव सभ्यता की मूल आवश्यकता क्या है? (16.11-12)

इन्द्रियों की तुष्टि

इन्द्रियों के द्वारा इन्द्रियों के स्वामी की सेवा

इन्द्रियों का भोग

इन्द्रियों का संयमन

केवल इन्द्रियतृप्ति

2.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

कौन से शब्द सूचित करते हैं कि आसुरी लोग सदा काम और क्रोध में लीन रहते हैं? (16.11-12)

कामोपभोगपरमा

कामक्रोधपरायणाः

कामभोगार्थम

आशापाशशतैर्बद्धाः

अन्यायेनार्थसञ्चयान्

3.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

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आसुरी व्यक्ति के विषय में क्या सही है? (16.11-12)

मृत्यु के बाद जीवन में विश्वास नहीं करते

एक के बाद एक जीवन के लिए योजना बनाते हैं

वैदिकशास्त्र का न तो ज्ञान है, न कोई श्रद्धा है

अन्तर में स्थित परमात्मा में श्रद्धा नहीं रखता

इन्द्रियभोग के लिए अपने को स्वतन्त्र मानता है

4.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

अज्ञान से विमोहित हुआ आसुरी व्यक्ति क्या सोचता है? (16.13-15)

आढ्योऽभिजनवानस्मि - मैं कुलीन सम्बन्धियों से घिरा सबसे धनी हूँ

मैं सभी वस्तुओं का स्वामी, भोक्ता, सिद्ध, शक्तिमान् तथा सुखी हूँ

यक्ष्ये दास्यामि मोदिष्य - मैं यज्ञ-दान करूँगा और आनन्द मनाऊँगा

आज मेरे पास इतना धन है और अपनी योजनाओं से मैं और कमाऊँगा

इस समय इतना है किन्तु भविष्य में यह बढ़कर और अधिक हो जायेगा

5.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

आसुरी व्यक्ति का अंततः पतन्ति नरकेऽश‍ुचौ - नरक में गिरने से पहले क्या-क्या होता है? (16.16)

अनेकचित्तविभ्रान्ता - अनेक चिन्ताओं से उद्विग्न

मोहजालसमावृताः - मोहजाल में बद्ध

प्रसक्ताः कामभोगेषु - इन्द्रियभोग में अत्यधिक रत

6.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

आसुरी व्यक्ति अपने ऐश्वर्य, बल के पीछे पूर्व जन्म के पुण्य कार्यों का फल और विभिन्न प्रकार के लोगों, सुन्दरता तथा शिक्षा के पीछे किसी प्रकार की योजना (व्यवस्था) को न देखते हुए क्या मानता है? (16.16)

सारी सम्पत्ति उसके निजी उद्योग से है

बाहु-बल पर विश्वास करता है, कर्मफल पर नहीं

ये चीजें आकस्मिक हैं

सबकुछ भगवान् की कृपा के रूप में देखता है

7.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

आधुनिक आसुरी उपदेशक अपने अनुयायियों से क्या कहता है? (16.16)

तुम लोग ईश्वर को अन्यत्र क्यों ढूँढ रहे हो?

तुम स्वयं अपने ईश्वर हो

तुम जो चाहो कर सकते हो

ईश्वर पर विश्वास मत करो

ईश्वर को दूर करो, ईश्वर मृत है

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