व्याख्याः दिये गए सभी कथन सत्य हैं। मूल अधिकार और राज्य के नीति-निदेशक तत्त्वों के बीच वरीयता को लेकर संसद एवं न्यायपालिका के बीच एक लम्बा संघर्ष चला। केशवानन्द भारती बनाम केरल राज्य, 1973 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि मूल अधिकार और राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांत एक-दूसरे का पूरक हैं। मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ, 1980 में भी सर्वोच्च न्यायालय ने इसे पुनः दोहराया किया।
मूल अधिकारों के उल्लंघन या हनन पर सर्वोच्च या उच्च न्यायालय रिट निकालकर सरकार को आदेश देता है, जबकि राज्य के नीति निदेशक तत्त्व सरकार के लिये निर्देश हैं कि इनके प्रावधानों को लागू करे, क्योंकि इसके पीछे जनता की नैतिक शक्ति है।
मूल अधिकार का संबंध व्यक्ति के अधिकारों के संरक्षण से है, जबकि नीति-निदेशक तत्त्वों का संबंध समाज के हितों के संरक्षण से है।