
मोहिनी- भूगोल 1 - 100

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History
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12th Grade
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Nitin sir
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1.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
सुभाष चंद्र बोस का राजनीतिक गुरु कौन था?
जीके गोखले
चितरंजन दास
बीसी पाल
बीजी तिलक
Answer explanation
सुभाष चंद्र बोस का राजनीतिक गुरु चितरंजन दास था। वह देशबंधु के उपनाम से प्रसिद्ध थे। चितरंजन दास का जन्म 5 नवंबर, 1870 को कोलकाता में हुआ था। इनका ताल्लुक ढाका के विक्रमपुर के तेलिरबाग के प्रसिद्ध दास परिवार से था। इनके पिता भुवन मोहन दास कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जाने-माने वकील थे। बता दे कि गोपाल कृष्ण गोखले को महात्मा गांधी अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। गोखले का जन्म 9 मई, 1866 को पूर्व बंबई प्रेसीडेंसी केरत्नागिरि जिले के कोतलुक गाँव के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था । उनके पिता श्री कृष्णराव कोल्हापुर रियासत के कागल नामक एक छोटे सामंती रजवाड़े में क्लर्क थे।
2.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
आइन-ए-अकबरी कितने भागों में विभक्त है?
3 भागों में
5 भागों में
7 भागों में
9 भागों में
Answer explanation
आइन-ए-अकबरी (Ain-i-Akbari) पांच भागों में विभक्त है, जिसमें आखिरी भाग 'अकबरनामा' हैं। इसकी रचना अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फ़ज़ल द्वारा की गई थी। वास्तव में 'आइन-ए-अकबरी' उन नियमों का संग्रह है, जिनका निर्माण अकबर द्वारा अपने प्रशासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए किया गया था। हिज़री 1006 यानी 1598 में फारसी भाषा में लिखी में अबुल फजल ने वही लिखा जो अकबर चाहते थे। आइन-ए-अकबरी वास्तव में बादशाह अकबर पर लिखे गए अकबरनामा का हिस्सा है, तीसरा हिस्सा जिसे पांच बार संपादित करने के बाद जारी किया गया था।अकबरनामा के सभी हिस्से अबुल फ़ज़ल ने ही लिखे थे जो अकबर के दरबारी थे। उनके लेखन या ज्ञान को लेकर उन्हें अकबर के नवरत्नों में शुमार किया जाता था। इस पुस्तक का बाद में अंग्रेजी भाषा में भी अनुवाद किया गया। इसके अतिरिक्त अबुल फजल द्वारा विष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतन्त्र का फारसी भाषा में अनवर-ए-सादात नाम से अनुवाद किया गया।
3.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
कालिदास किसके शासनकाल में थे?
समुद्रगुप्त
अशोक महान
चंद्रगुप्त I
चंद्रगुप्त II
Answer explanation
कालिदास चंद्रगुप्त II के शासनकाल में थे। चंद्रगुप्त द्वितीय अथवा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का शासनकाल 380-412 ईसवी तक रहा। चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपना साम्राज्य विस्तार वैवाहिक सम्बन्ध व विजय दोनों से किया जिसमें नाग राजकुमारी कुबेरनागा से विवाह किया। उसने अपनी बेटी प्रभावती गुप्ता का विवाह वाकाटक नरेस रूद्रसेन द्वितीय से किया था जिसकी मृत्यु पर वह शासिका संरक्षक बनीं। चांदी का सिक्का जारी करने वाला प्रथम गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय ही था चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नौ रत्न निवास करते थे जिसमें क्षपणक फलित ज्योतिष से संबंधित था। उसके दरबार में कालिदास एवं अमर सिंह गुप्तकालीन प्रसिद्ध विद्वान थे। कालिदास द्वारा रचित पुस्तकें ऋतुसंहार, मेघदूत, कुमारसंभव, रघुवंश, मालविकाग्निमित्रम्, अभिज्ञानशाकुतंलम्, विक्रमोर्वशीयम् आदि है।
4.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
भारतीय राष्ट्रवाद के जनक कौन है?
गोपाल कृष्ण गोखले
बाल गंगाधर तिलक
सुरेंद्रनाथ बैनर्जी
राजा राममोहन राय
Answer explanation
भारतीय राष्ट्रवाद के जनक राजा राममोहन राय (Raja Ram Mohan Roy) है। सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलनों के सूत्रधार राजा राममोहन राय को भारत के नवजागरण का अग्रदूत, अतीत और भविष्य के मध्य सेतु, भारतीय राष्ट्रवाद के जनक, आधुनिक भारत के पिता, नव प्रभात के भोर का तारा, भारतीय राजनैतिक क्रांति के अग्रदूत, नवीन भारत के संदेश वाहक आदि माना जाता है। राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को ब्रिटिश शासित भारत के पूर्वी भाग के एक प्रांत बंगाल के राधानगर में उच्च जाति के एक संपन्न हिंदू जमींदार परिवार में हुआ था। उनके पिता रमाकांत रॉय हिंदुत्व के वैष्णव पंथ के अनुयायी थे और उनकी माता तारिणी देवी शैव पंत का अनुसरण करती थीं। इस प्रकार से अपने प्रारंभिक दिनों से ही, राममोहन हिंदुत्व बहुसंख्यक पंथों और उनके द्वारा उत्पन्न की गई जटिलताओं के प्रति जागरूक हो गए थे।
राजा राम मोहन राय उन्नीसवीं सदी में भारतीय सामाजिक सुधार आंदोलन के अगुआ थे। उस समय के उच्च जाति के हिंदुओं में सती जैसी घृणित प्रथा के विरुद्ध उनके अथक संघर्ष ने ब्रिटिश सरकार को विवश किया कि वह जागे, अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को पहचाने और इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधान पारित करे। राय दूसरे सामाजिक सुधारों जैसे विधवा पुनर्विवाह और महिला शिक्षा के लिए भी उतने ही प्रतिबद्ध थे। इसके साथ ही समकालीन हिंदू समाज में दमनकारी प्रथाओं के उन्मूलन के लिए भी उन्होंने संघर्ष किया, जिसने एक नए धर्म, ब्रह्मो के उद्भव का मार्ग प्रशस्त किया। इस सबने उन्हें न केवल बंगाल के पुनर्जागरण काल का, बल्कि संपूर्ण रूप में स्वतंत्रता पूर्व के भारतीय सुधार आंदोलन का भी अग्रणी व्यक्तित्व बना दिया।
5.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र कौन था?
बयाना
कोरोमंडल
गुजरात
लाहौर
Answer explanation
मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र बयाना था। 18वीं शताब्द की प्रमुख फसलों में धान, गेहूं, ज्वार-बाजरा इत्यादि थे। धान हिंदुस्तान के अधिकांश क्षेत्रों में उगाया जाता था जिसमें गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी नदी के डेल्टा शामिल थे। गेंहूं का उत्पादन मुख्य रूप से पंजाब, मध्य भारत, उत्तर-प्रदेश, बिहार और गुजरात में होता था। मक्का और जौ भी प्रत्येक स्थान पर उगाया जाता था। तिलहनों में सरसों, तिल एवं अलसी, अरंडी की खेती होती थी। खाद्य फसलों के अतिरिक्त नकदी फसलों में पटसन, नील, कपास एवं अफीम का उत्पादन होता था। नील उत्तर के क्षेत्र जैसे बयाना में उगाई जाती थी।
6.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सबसे प्रसिद्ध क्षेत्र कौन था?
लाहौर
मालवा
गुजरात
बयाना
Answer explanation
मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सबसे प्रसिद्ध क्षेत्र बयाना (Bayana) था। बयाना आधुनिक राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। प्राचीन काल मे इसे बाणपुर कहा जाता था, जिसका संबंध बाणाुसर तथा उसकी पुत्री उमा से बताया जाता है। बयाना मुगलकाल में नील की खेती के लिए प्रसिसद्ध था। यहां सर्वश्रेष्ठ किस्म की नील का उत्पादन होता थाा, जबकि घटिया किस्म की नील का उत्पादन दोआब, खुर्जा एवं कोइल में होता था। बयाना की नील भारत के अन्य क्षेत्रों की नील से 50% अधिक मूल्य पर बिकती थी। यहां क नील इरा होते हुए इटली तक भेजी जाती थी।
7.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
किसान घाट किसका समाधि स्थल है?
राजीव गांधी
चौधरी चरण सिंह
लाल बहादुर शास्त्री
इंदिरा गांधी
Answer explanation
किसान घाट चौधरी चरण सिंह का समाधि स्थल (Kisan Ghat Samadhi Sthal) है। जो भारत के पांचवें प्रधानमंत्री (कार्यकाल 28 जुलाई 1979 – 14 जनवरी 1980) रह चुके है। चौधरी चरण सिंह का जन्म मेरठ जिले के नूरपुर गांव में 23 दिसंबर 1902 में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूरपुर गांव में ही हुई। साल 1923 में चरण सिंह ने विज्ञान विषय में स्नातक किया और 1928 में गाजियाबाद में वकालत आरंभ कर दिया। देश की आजादी के बाद चौधरी चरण सिंह 1952, 1962 और 1967 के विधानसभा चुनावों में जीतकर राज्य विधानसभा के लिए चुने गए। साल 1951 में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने जिसके अंतर्गत उन्होंने न्याय एवं सूचना विभाग का दायित्व सम्भाला। चरण सिंह स्वभाव से भी एक कृषक थे अतः वे किसानों के हितों के लिए लगातार प्रयास करते रहे। सन 1960 में जब चंद्रभानु गुप्ता उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब उन्हें कृषि मंत्रालय दिया गया। 29 मई 1987 को उनका निधन हो गया।
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