Bhagavad Gita As It Is DAY-10 (2.45-54)

Bhagavad Gita As It Is DAY-10 (2.45-54)

KG - Professional Development

18 Qs

quiz-placeholder

Similar activities

KULWINDER PAL (संख्या)

KULWINDER PAL (संख्या)

KG - University

20 Qs

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 81-82)

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 81-82)

KG - Professional Development

21 Qs

Bhagavad Gita As It Is DAY-20 (4.30-39)

Bhagavad Gita As It Is DAY-20 (4.30-39)

KG - Professional Development

20 Qs

licenses

licenses

9th - 12th Grade

14 Qs

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 39-40)

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 39-40)

KG - Professional Development

14 Qs

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 43-44)

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 43-44)

KG - Professional Development

19 Qs

Bhagavad Gita As It Is DAY-11 (2.55-64)

Bhagavad Gita As It Is DAY-11 (2.55-64)

KG - Professional Development

15 Qs

समरसता दिवस - बाबा साहब डॉ. भीम राव अम्बेडकर

समरसता दिवस - बाबा साहब डॉ. भीम राव अम्बेडकर

6th Grade - Professional Development

15 Qs

Bhagavad Gita As It Is DAY-10 (2.45-54)

Bhagavad Gita As It Is DAY-10 (2.45-54)

Assessment

Quiz

Education, Life Skills, Philosophy

KG - Professional Development

Easy

Created by

Keśava Kṛṣṇa Dāsa

Used 94+ times

FREE Resource

AI

Enhance your content in a minute

Add similar questions
Adjust reading levels
Convert to real-world scenario
Translate activity
More...

18 questions

Show all answers

1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

श्लोक पहचानें - हे अर्जुन! जय अथवा पराजय की समस्त आसक्ति त्याग कर समभाव से अपना कर्म करो | ऐसी समता योग कहलाती है |

त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन |

निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान् || 2.45 ||

कर्मण्यवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन |

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि || 2.47 ||

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय |

सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते || 2.48 ||

दुरेण ह्यवरं कर्म बुद्धियोगाद्धनञ्जय

बुद्धौ शरणमन्विच्छ कृपणाः फलहेतवः || 2.49 ||

2.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

Media Image

वेदों में मुख्यतया प्रकृति के ____ गुणों का वर्णन हुआ है | (2.45)

2

3

4

5

3.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

3 mins • 1 pt

भौतिक गुणों की क्रियाएँ-प्रतिक्रियाएँ: सुख-दुख या शीत-ग्रीष्म कब तक रहने वाले हैं? (2.45)

जब तक भौतिक शरीर का अस्तित्व है

जब तक आध्यात्मिक गुरु न स्वीकार कर लिया जाए

4.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

3 mins • 1 pt

द्वैतताओं को सहन करके हानि तथा लाभ की चिन्ता से कैसे मुक्त हुआ जाय? (2.45)

कृष्ण की इच्छा पर पूर्णतया आश्रित रह कर

शून्य पर ध्यान से

नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन से

हठयोग व प्राणायाम की विधियों द्वारा

5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

3 mins • 1 pt

वेदों के कर्मकाण्ड विभाग में वर्णित अनुष्ठानों एवं यज्ञों का ध्येय क्या है? (2.46)

इन्द्रियतृप्ति की प्रामाणिक सुविधाएं प्रदान करना

आत्म-साक्षात्कार के क्रमिक विकास को प्रोत्साहित करना

भौतिक प्रकृति का भरपूर आनंद लेना

नारकीय जीवन से बचाकर स्वर्गिक सुख उपलब्ध कराना

6.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

भगवान् के पवित्र नाम का जप व कीर्तन करने वाले की श्रेष्ठता का क्या प्रमाण है? (2.46)

श्रीमद्भागवत (3.33.7) - अहो बात श्र्वपचोऽतो गरीयान् - भगवन्नाम जपने वाला भले ही चाण्डाल जैसे निम्न परिवार में क्यों न हुआ हो, किन्तु वह सर्वोच्च पद पर स्थित है

भगवान् चैतन्य ने प्रकाशानंद सरस्वती को बताया - वेदान्त दर्शन के परम उद्देश्य की पूर्ति भगवान् के पवित्र नाम का कीर्तन करने से हो जाती है

7.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

तीन प्रकार के कर्मों को उनके ठीक अर्थ के अनुसार चुनें | (2.47)

कर्म = प्रकृति के गुणों के रूप में प्राप्त आदेश, स्वधर्म

विकर्म = अपने कर्मों को न करना

अकर्म = अधिकारी की सम्मति के बिना किये गये कर्म

Create a free account and access millions of resources

Create resources

Host any resource

Get auto-graded reports

Google

Continue with Google

Email

Continue with Email

Classlink

Continue with Classlink

Clever

Continue with Clever

or continue with

Microsoft

Microsoft

Apple

Apple

Others

Others

By signing up, you agree to our Terms of Service & Privacy Policy

Already have an account?