Bhagavad Gita As It Is DAY-38 (9.34, 10.1-9)

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Keśava Kṛṣṇa Dāsa
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33 questions
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1.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
5 mins • 1 pt
किस श्लोक में भगवान् कहते हैं कि अपने मन को मेरे नित्य चिन्तन में लगाओ, मेरे भक्त बनो, मुझे नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो?
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण: ॥ 9.34 ॥
यो मामजमनादिं च वेत्ति लोकमहेश्वरम् ।
असम्मूढ: स मर्त्येषु सर्वपापै: प्रमुच्यते ॥ 10.3 ॥
अहं सर्वस्य प्रभवो मत्त: सर्वं प्रवर्तते ।
इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विता: ॥ 10.8 ॥
मच्चित्ता मद्गतप्राणा बोधयन्त: परस्परम् ।
कथयन्तश्च मां नित्यं तुष्यन्ति च रमन्ति च ॥ 10.9 ॥
2.
MULTIPLE SELECT QUESTION
5 mins • 1 pt
कृष्णतत्त्व को न जानने के कारण अज्ञानी, भ्रमित व कपटी भाष्यकार कृष्ण को कैसे छिपाते हैं? (9.34)
उनको उनके मन या शरीर से पृथक् बताते हैं
परमेश्वर कृष्ण में तथा उनके शरीर में कोई अन्तर नहीं है
कृष्ण के भक्त बनने का तोड़मरोड़ कर अर्थ करते हैं
3.
MULTIPLE SELECT QUESTION
5 mins • 1 pt
निरन्तर कृष्णतत्त्व का अनुशीलन व चिंतन कैसे करना चाहिए? (9.34)
ईर्ष्यावश, जिस तरह कृष्ण का मामा कंस करता था
निरन्तर शत्रु रूप में ताकि सदैव चिन्ताग्रस्त रहें कि न जाने कब कृष्ण वध कर दें
प्रामाणिक गुरु से सीखकर भक्तिमय प्रेम व सेवा द्वारा
4.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
5 mins • 1 pt
कहाँ से कृष्ण का ज्ञान प्राप्त करना लाभदायक होगा? (9.34)
अप्रामाणिक साधन (अभक्त) से
शुद्ध भक्त प्रामाणिक गुरु से
कपटी भाष्यकारों से
कल्पना, योग तथा सकाम कर्म से
5.
MULTIPLE SELECT QUESTION
5 mins • 1 pt
प्रारम्भ में कोई भक्त अपने स्तर से आकस्मिक पतन के कारण नीचे गिर जाये, तो उसकी क्या स्थिति माननी चाहिए? (9.34)
एक पापी व्यक्ति से भी अधम अपराधी
कर्मी से श्रेष्ठ, दार्शनिक तथा योगियों से कम
निरंतर कृष्ण भक्ति में रहने के कारण पूर्ण साधुपुरुष
6.
MULTIPLE SELECT QUESTION
5 mins • 1 pt
भक्तिपथ से आकस्मिक पतन की स्थिति में उस भक्त के लिए क्या मार्ग है? (9.34)
निरंतर कृष्ण-भक्ति में लगे रहने से क्रमशः उसके आकस्मिक भक्ति-विहीन कार्य कम होते जाएँगे और उसे शीघ्र ही पूर्ण सिद्धि प्राप्त होगी
वास्तव में शुद्ध भक्त के पतन का कभी कोई अवसर नहीं आता, क्योंकि भगवान् स्वयं ही अपने शुद्ध भक्तों की रक्षा करते हैं
7.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
5 mins • 1 pt
भगवान् शब्द की व्याख्या, पूर्ण रूप से षड्ऐश्र्वर्यों से युक्त के रूप में, किसने की है? (10.1)
नारद मुनि
पर्वत मुनि
पराशर मुनि
सत्यव्रत मुनि
अंगिरा मुनि
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