Bhagavad Gita As It Is DAY-52 (13.23-32)

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KG - Professional Development

20 Qs

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Assessment

Quiz

Life Skills, Philosophy, Special Education

KG - Professional Development

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Keśava Kṛṣṇa Dāsa

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20 questions

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1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

किस शब्द से भगवान् बताते हैं कि परमात्मा हमारे कार्यों के साक्षी होते हैं? (13.23)

उपद्रष्टानुमन्ता च

भर्ता भोक्ता महेश्वरः

परमात्मेति चाप्युक्तो

देहेऽस्मिन्पुरुषः परः

2.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

परमेश्वर के आदेश को अस्वीकार करने और प्रकृति पर प्रभुत्व जताकर स्वतन्त्रतापूर्वक कर्म करने की प्रवृत्ति के कारण जीव परमेश्वर की कौन सी शक्ति कहलाता है? (13.23)

कूटस्था

तटस्था

कायस्था

राजस्था

3.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

कब तक परमेश्वर मित्र रूप में परमात्मा की तरह जीव के भीतर रहते हैं? (13. 23)

जब तक वह भौतिक शक्ति द्वारा बद्ध रहता है

सदैव, भौतिक और आध्यात्मिक दोनों जगतों में

जब तक जीव आध्यात्मिक जगत से बाहर न जाए

4.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

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अद्वैतवादी चिंतकों को आत्मा-परमात्मा का अंतर कैसे बताएँगे? (13.23)

श्लोक में उनका नाम परमात्मा है, आत्मा नहीं

परमात्मा साक्षी, अनुमतिदाता तथा परम भोक्ता है

जीव भुक्त है और भगवान् भोक्ता या पालक हैं

वे जीवात्मा से भिन्न हैं, वे पर हैं, दिव्य हैं

5.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

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इनमें से क्या सही नहीं है? (13.23)

अल्प स्वतन्त्रता के कारण जीव निरन्तर आध्यात्मिक प्रकाश की संगति ठुकराता है

स्वतन्त्रता का दुरोपयोग ही बद्ध प्रकृति में जीव के भौतिक संघर्ष का कारण है

भगवान् जीव को आध्यात्मिक शक्ति में वापस बिल्कुल नहीं ले जाना चाहते

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

प्रकृति, परमात्मा, आत्मा तथा इनके अन्तःसम्बन्ध की स्पष्ट जानकारी हो जाने पर मनुष्य को क्या लाभ प्राप्त होता है? (13.24)

मुक्त होने का अधिकारी बनता है

संसार में आ गिरता है

पुनर्जन्म निश्चित होगा

7.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

संसार में फिर कभी नहीं आने व सच्चिदानन्दमय जीवन बिताने के लिए वैकुण्ठ-लोक भेजे जाने के लिए व्यक्ति को क्या करना होता है? (13.24)

उसे प्रामाणिक व्यक्तियों, साधु-पुरुषों तथा गुरु की संगति में निजी प्रयास द्वारा अपनी स्थिति समझनी है

जिस रूप में भगवान् ने भगवद्गीता कही है, उसे समझ कर आध्यात्मिक चेतना या कृष्णभावनामृत को प्राप्त करना है

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