47.भगवद गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_10.14–10.21

47.भगवद गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_10.14–10.21

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41 Qs

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Religious Studies

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Abhay Ram Das

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41 questions

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1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

क्या भगवद गीता को समझने के लिए भगवान कृष्ण को परम भगवान स्वीकार करना आवश्यक है ?

हाँ , क्योंकि कृष्ण गीता में स्वयं को परम पुरुष स्वीकार करते है और बताते है की श्रद्धा और भक्ति से ही उन्हें समझा जा सकता है |

नही , क्योंकि गीता एक अध्यात्मिक ग्रन्थ है, धार्मिक नही |

नही , क्योंकि गीता एक तार्किक ग्रन्थ है और इसे समझने में श्रद्धा की आवश्यकता नही है |

हाँ, क्योंकि निराकार ब्रह्म जब कृष्ण रूप में आए तभी उन्होंने गीता बोली |

2.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

कृष्ण अपने निरंतर चिंतन का उपदेश करते है | व्यावहारिक स्तर पर यह कैसे पालन किया जा सकता है ?

कम से कम दिन में तीन बार भगवान कृष्ण का स्मरण किया जाए |

प्रत्येक कार्य करने से पहले कृष्ण का नाम लेना |

कृष्ण की लीलाओं, नाम, रूप और गुण का निरंतर कीर्तन स्मरण अध्ययन आदि करना |

अपना काम इमानदारी से करे और भगवान को याद करे |

3.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

जो व्यक्ति या साधक कृष्ण को परम पवित्र स्वीकार करता है, वह समस्त पापों से कैसे मुक्त हो जाता है ?

क्योंकि कृष्ण ऐसे साधक को पाप से मुक्त कर देते है |

क्योंकि कृष्ण भक्त को कभी कोई पाप नही लगता |

पाप पुण्य कुछ नही बस मनोधर्म है |

क्योंकि पाप से मुक्त व्यक्ति ही कृष्ण की शरण में जा सकता है |

4.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

चैतन्य महाप्रभु जी ने निम्न में से कौन से व्यक्ति को इस वचन पर पूर्व के सब पापों से मुक्त कर दिया था की वह कृष्ण बकती करेगा और फिर से पापकर्म नही करेगा ?

जगाई |

मधाई |

कला कृष्ण दस

(i) & (ii)

5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

मन चंचल होने के कारण कभी भी एक वस्तु पर नही ठहरता फिर कृष्ण क्यों निरंतर उनका स्मरण करने को कहते है ?

कृष्ण का निरंतर स्मरण असम्भव है |

कृष्ण सर्व आकर्षक है और भक्ति में साधक की कुछ प्रगति होने के बाद मन उनमे लगने लगता है |

अष्टांग योग पद्वति से मन कृष्ण पर लग सकता है |

उपरोक्त में से कोई नही |

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

भगवद गीता के अनुसार न तो देवता और न ही दानव उन्हें समझ सकते है केवल भक्त ही कृष्ण को समझ सकते है क्या इसका अर्थ यह हुआ की देवता कृष्ण को कभी भी नही समझ सकते ?

देव योनि में भगवान को प्राप्त नही किया जा सकता |

देवता भी अगर भक्ति करे तो कृष्ण को समझ सकते है किन्तु वे अपनी शक्ति से कृष्ण को नही समझ सकते |

देवता भगवान कृष्ण को प्राप्त कर सकते है क्योंकि वे शक्तिशाली जीव है जो सतोगुण में स्थित रहते है |

देवता कृष्ण को कभी प्राप्त नही कर सकते क्योंकि स्वर्ग में बहुत अधिक भोग की व्यवस्था है |

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

अर्जुन ने भगवान कृष्ण को परम ईश्वर कृष्ण के कहने पर स्वीकार किया | सीके उपरांत भी अर्जुन ने नारद, असित, देवता तथा व्यास जैसे ऋषियों का नाम क्यों लिया ?

क्योंकि अर्जुन को कृष्ण पर पूर्ण विश्वास नहीं था |

क्योंकि अर्जुन भ्रमित था |

क्योंकि अर्जुन कृष्ण के वचनों को वेदों के द्वारा भी पुष्टि करके बताना चाह रहे था |

उपरोक्त में से कोई नही |

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