Grand Finale

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11th Grade

26 Qs

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Grand Finale

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Education

11th Grade

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Created by

Sudeep Shastri

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26 questions

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1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

10 sec • 2 pts

"तत्वज्ञान के अभ्यास से जब कोई पदार्थ इष्ट-अनिष्ट भासित ना हो, तब स्वयमेव ही क्रोधादि  उत्पन्न नहीं होते हैं, तब सच्चा धर्म होता है।" उक्त उद्धरण किस ग्रंथ का है ?

मोक्षमार्ग प्रकाशक - पण्डित दौलतरामजी

मोक्षमार्ग प्रकाशक - पण्डित बनारसीदासजी

मोक्षमार्ग प्रकाशक - पण्डित टोडरमलजी

मोक्षमार्ग प्रकाशक - पण्डित बुधजनजी

2.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

10 sec • 2 pts

निम्न में से गलत वाक्य है।

आत्मा में जिस तिथि को क्षमादिरूप शांति प्रकट होती है, वह तिथि पर्व कहलाती है।

धर्म का आधार तिथि नहीं आत्मा है।

केवल दसलक्षण पर्व में ही आत्मा की आराधना की जाती है।

पर्व का संबंध आत्मा के उत्तम क्षमादि गुणों की आराधना से है।

3.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

10 sec • 2 pts

शास्त्रों में चार प्रकार के क्रोध में उक्त भेद नहीं पाया जाता है।

अनंतानुबंधी क्रोध

अप्रत्याख्यानावरण क्रोध

प्रत्याख्यानावरण क्रोध

सांपरायिक क्रोध

4.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

10 sec • 2 pts

क्रोध और बैर में निम्न में से कौन-सा अंतर नहीं है ?

क्रोध किया जाता है और बैर धारण किया जाता है।

क्रोध अच्छा है और बैर बुरा है।

क्रोध में तत्काल प्रतिक्रिया होती है और बैर में मन में गांठ बांध ली जाती है।

क्रोध खतरनाक है और बैर क्रोध से भी अधिक खतरनाक है।

5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

10 sec • 2 pts

मान सम्मान की चाह तो ज्ञानियों के भी होती है, परन्तु

ज्ञानी के मान की चाह में उपादेयबुद्धि नहीं है ।

ज्ञानी के मान की चाह में उपादेबुद्धि होती हैं ।

मान की चाह में आंशिक मार्दव धर्म होता है ।

मान की उपादेय बुद्धि से संपूर्ण मार्दव धर्म होता है।

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

10 sec • 2 pts

गलत कथन को चुनिए -

क्रोध प्रथम कषाय है और मान द्वितीय

क्रोध निंदा से होता है प्रशंसा से मान होता है l

क्रोध के निमित्त शत्रु बनते हैं, मान के निमित्त मित्र बनते हैं ।

क्रोध और मान दोनों रागरूप कषाय हैं ।

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

10 sec • 2 pts

"मन में होय सो वचन उचरिये, वचन होय सो तन सो करिए ।" उक्त पंक्ति कहां की है? 

दशलक्षण पूजन - द्यानतरायजी

दशलक्षण पूजन - बुधजनजी

दशलक्षण पूजन - वृंदावनदासजी

दशलक्षण पूजन - राजमलजी

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