गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पायँ ।
ब्लिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियौ बताय।।
कबीर के सामने क्या समस्या थी?
कबीर के दोहे पर प्रश्न
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Physics
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10th Grade
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Nitin sir
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24 questions
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1.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पायँ ।
ब्लिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियौ बताय।।
कबीर के सामने क्या समस्या थी?
वे समझ नहीं पा रहे थे कि गुरु और गोविंद में से कौन महान है।
वे समझ नहीं पा रहे थे कि पहले किसे प्रणाम करें।
वे समझ नहीं पा रहे थे कि गोविंद को किसने बताया।
वे समझ नहीं पा रहे थे कि गुरु कहाँ खड़े हैं।
2.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पायँ ।
ब्लिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियौ बताय।।
कबीर ने इस समस्या का समाधान कैसे निकाला?
उन्होंने गोविंद को प्रणाम किया।
उन्होंने गुरु को प्रणाम किया।
उन्होंने दोनों को एक साथ प्रणाम किया।
उन्होंने किसी को प्रणाम नहीं किया।
3.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पायँ ।
ब्लिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियौ बताय।।
कबीर ने ऐसा क्यों किया?
क्योंकि गुरु, गोविंद से महान हैं।
क्योंकि गुरु ने ही उन्हें गोविंद के बारे में बताया था।
क्योंकि गोविंद, गुरु से नाराज़ थे।
क्योंकि गुरु, गोविंद के मित्र थे।
4.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पायँ ।
ब्लिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियौ बताय।।
इस दोहे से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा है।
ईश्वर का स्थान गुरु से भी ऊंचा है।
गुरु और ईश्वर दोनों समान हैं।
गुरु और ईश्वर में कोई संबंध नहीं है।
5.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पायँ ।
ब्लिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियौ बताय।।
'बलिहारी गुरु आपनो' का क्या अर्थ है?
मैं अपने गुरु पर न्योछावर हूँ।
मेरे गुरु बहुत बलवान हैं।
मेरे गुरु बहुत ज्ञानी हैं।
मैं अपने गुरु पर न्योछावर हूँ।
6.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहि।
प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहि।।
"मैं" शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?
कबीर के लिए
ईश्वर के लिए
अहंकार के लिए
प्रेम के लिए
7.
MULTIPLE CHOICE QUESTION
30 sec • 1 pt
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहि।
प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहि।।
"जब मैं था तब हरि नहीं" का क्या अर्थ है?
जब कबीर थे तब ईश्वर नहीं थे।
जब अहंकार था तब ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती थी।
जब ईश्वर थे तब कबीर नहीं थे।
जब प्रेम था तब हरि नहीं थे।
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