7. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_2.21 – 2.32

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5.

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श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक संख्या 2.21 के अनुसार, आत्मा विषयक ज्ञान प्राप्त करने के उपरान्त मनुष्य विनम्र क्यों हो जाता है ?

क्योंकि उसे ज्ञात हो जाता है कि इच्छाएँ हम जीवात्माएँ करते हैं न कि ये भौतिक शरीर । और जीवात्मा तो अविनाशी, अजन्मा, शाश्वत तथा अव्यय है ।

अन्य जीवात्माओं से भय के कारण ।

अन्य जीवात्माओं से विरोध के कारण ।

अन्य जीवात्माओं से प्रतिस्पर्धा के कारण ।

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

भगवान् श्रीकृष्ण श्लोक संख्या 2.21 के द्वारा अर्जुन के युद्ध न करने के लिए दिए गये किस तर्क का खण्डन करते हैं ?

श्लोक संख्या 1.36 में, अर्जुन के मतानुसार युद्ध में होने वाले अनावश्यक नरसंहार प्रत्युत्पन्न पापकर्म ।

श्लोक संख्या 1.39 में, अर्जुन के मतानुसार युद्ध में होने वाले अनावश्यक नरसंहार से कुल-परम्परा का नाश हो जाना ।

श्लोक संख्या 1.40 में, अर्जुन के मतानुसार युद्ध में होने वाले अनावश्यक नरसंहार से कुलस्त्रियों का दूषित हो जाना ।

श्लोक संख्या 1.41 में, अर्जुन के मतानुसार युद्ध में होने वाले अनावश्यक नरसंहार से पिण्डोदक क्रिया का लुप्त हो जाना ।

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

एक सैनिक सीमा की सुरक्षा के लिए शत्रुओं का संहार करता है तो उसे दण्डित नहीं अपितु सम्मानित किया जाता है, यदि वही सैनिक स्वहित के लिए किसी की हत्या कर देता है तो उसे दण्डित क्यों किया जाता है ?

ताकि अगले जीवन में उसे अपना यह पापकर्म न भोगना पड़े ।

ऐसे सैनिक को वर्णाश्रम धर्म का पालन करने के कारण दण्डित किया जाना न्यायोचित (Justifiable) नहीं है ।

क्योंकि स्वहित के लिए हत्या भौतिक एवं वैदिक दोनों ही विधियों में निषिद्ध (Forbidden) अर्थात् यह पापकर्म है ।

क्योंकि सैनिक के ऐसा करने से जीवात्माओं के शुद्धिकरण (Purification) की गति तीव्र हो जाती है ।

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