HISTORY CLASS 8 CHAPTER:- 6

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1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

1 min • 1 pt

भारतीय कपड़े और विश्व बाज़ार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

1. अठारहवीं सदी की शुरुआत में यूरोप में भारतीय कपड़े की इतनी अधिक मांग थी कि खुद इंग्लैंड की महारानी भी भारतीय कपड़ों से बने परिधान पहनती थीं।

2. ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊन व रेशम निर्माताओं को संरक्षण प्रदान करने के लिये ‘कैलिको अधिनियम’ पारित किया था।

3. भारत में संयुक्त प्रांत स्थित लखनऊ बंडाना शैली के कपड़ों का सबसे महत्त्वपूर्ण केंद्र था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

1 और 2

2 और 3

1 और 3

2 और 1

Answer explanation

अठारहवीं सदी की शुरुआत में यूरोप में भारतीय कपड़े की इतनी अधिक मांग थी कि इंग्लैंड के रईस ही नहीं, बल्कि खुद महारानी भी भारतीय कपड़ों से बने परिधान पहनती थीं। अतः कथन 1 सही है।

मसालों की तलाश में आए पुर्तगालियों ने सबसे पहले केरल के कालीकट में डेरा डाला और यहाँ से वे मसालों के साथ सूती कपड़ा भी ले गए। इस सूती कपड़े को उन्होंने कैलिको कहा जो बाद में हर तरह के सूती कपड़े के लिये प्रयोग किया जाने लगा।

भारतीय कपड़े की लोकप्रियता से इंग्लैंड के ऊन और रेशम व्यापारी बेचैन थे जिनके दबाव में 1720 में ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड में छापेदार सूती कपड़े के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने के लिये एक कानून पारित कर दिया। संयोगवश इस कानून को भी कैलिको अधिनियम ही कहा जाता था। अतः कथन 2 भी सही है।

कथन 3 गलत है, क्योंकि बंडाना शैली के कपड़े अधिकांशतः राजस्थान और गुजरात में बनाए जाते थे। बंगाल में स्थित ढाका और संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) स्थित लखनऊ जामदानी बुनाई के सबसे 

महत्त्वपूर्ण केंद्र थे। ढाका अठारहवीं सदी में सबसे महत्त्वपूर्ण कपड़ा उत्पादन केन्द्र था। पटोला बुनाई सूरत, अहमदाबाद और पाटन में होती थी।

 

2.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

1 min • 1 pt

भारतीय कपड़े और विश्व बाज़ार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

1. अठारहवीं सदी की शुरुआत में यूरोप में भारतीय कपड़े की इतनी अधिक मांग थी कि खुद इंग्लैंड की महारानी भी भारतीय कपड़ों से बने परिधान पहनती थीं।

2. ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊन व रेशम निर्माताओं को संरक्षण प्रदान करने के लिये ‘कैलिको अधिनियम’ पारित किया था।

3. भारत में संयुक्त प्रांत स्थित लखनऊ बंडाना शैली के कपड़ों का सबसे महत्त्वपूर्ण केंद्र था।उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

1 और 2

2 और 3

1 और 3

सभी

Answer explanation

ब्रिटेन में सूती कपड़ा उद्योग के विकास से उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में भारतीय कपड़ा उत्पादकों को यूरोप और अमेरिका जैसे बाज़ारों में ब्रिटिश उद्योगों से आए कपड़े का मुकाबला करना पड़ता था। साथ ही भारत से इंग्लैंड को कपड़े का निर्यात मुश्किल होता जा रहा था, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने भारत से आने वाले कपड़े पर भारी सीमा शुल्क थोप दिये थे। अतः कथन 1 और 2 सही हैं। 

ऐसे प्रभाव भारतीय कपड़ा उद्योग को पतन की ओर ले गए। 1830 के दशक तक भारतीय बाज़ार ब्रिटेन में बने सूती कपड़े से भर गए और 1880 के दशक तक स्थिति यह हो गई थी कि भारत के लोग जितना सूती कपड़ा पहनते थे उसमें दो-तिहाई ब्रिटेन का बना होता था।

ऐसे प्रभावों के बाद भी भारतीय कपड़ा बुनकरी पूरी तरह खत्म नहीं हुई, क्योंकि कपड़ों की कुछ किस्में मशीनों पर नहीं बन सकती थीं। अतः पश्चिमी भारत में शोलापुर और दक्षिणी भारत में मदुरा उन्नीसवीं सदी के आखिर में बुनकरी के नए महत्त्वपूर्ण केन्द्र बनकर सामने आए। अतः कथन 3 गलत है।

बाद में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने भी लोगों से आह्वान किया कि वे आयातित कपड़े का बहिष्कार करें और हाथ से कते सूत और हाथ से बुने कपड़े ही पहनें। इस तरह खादी राष्ट्रवाद का प्रतीक बनती चली गई और 1931 में चरखे को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिरंगे झंडे की बीच वाली पट्टी में जगह दी गई।

 

3.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

1 min • 1 pt

उन्नीसवीं सदी में बुनकरों द्वारा तैयार भारतीय कपड़े के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

1. ब्रिटेन में सूती कपड़ा उद्योग के विकास से भारतीय कपड़े को अन्तर्राष्ट्रीय कपड़ा बाज़ारों में ब्रिटिश उद्योगों में बने कपड़ों से मुकाबला करना पड़ता था।

2. उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश सरकार ने भारत से आने वाले कपड़े पर भारी सीमा शुल्क थोप दिये थे।

3. उन्नीसवीं सदी के अंत में दक्षिणी भारत के शोलापुर और पश्चिमी भारत का मदुरा बुनकरी के महत्त्वपूर्ण केन्द्र थे।

4. 1931 में चरखे को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिरंगे झंडे की बीच वाली पट्टी में जगह दी गई जिससे खादी को बल मिला।उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

1,2 और 4

1,3 और 4

2 और 4

3 और 4

Answer explanation

ब्रिटेन में सूती कपड़ा उद्योग के विकास से उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में भारतीय कपड़ा उत्पादकों को यूरोप और अमेरिका जैसे बाज़ारों में ब्रिटिश उद्योगों से आए कपड़े का मुकाबला करना पड़ता था। साथ ही भारत से इंग्लैंड को कपड़े का निर्यात मुश्किल होता जा रहा था, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने भारत से आने वाले कपड़े पर भारी सीमा शुल्क थोप दिये थे। अतः कथन 1 और 2 सही हैं। 

ऐसे प्रभाव भारतीय कपड़ा उद्योग को पतन की ओर ले गए। 1830 के दशक तक भारतीय बाज़ार ब्रिटेन में बने सूती कपड़े से भर गए और 1880 के दशक तक स्थिति यह हो गई थी कि भारत के लोग जितना सूती कपड़ा पहनते थे उसमें दो-तिहाई ब्रिटेन का बना होता था।

ऐसे प्रभावों के बाद भी भारतीय कपड़ा बुनकरी पूरी तरह खत्म नहीं हुई, क्योंकि कपड़ों की कुछ किस्में मशीनों पर नहीं बन सकती थीं। अतः पश्चिमी भारत में शोलापुर और दक्षिणी भारत में मदुरा उन्नीसवीं सदी के आखिर में बुनकरी के नए महत्त्वपूर्ण केन्द्र बनकर सामने आए। अतः कथन 3 गलत है।

बाद में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने भी लोगों से आह्वान किया कि वे आयातित कपड़े का बहिष्कार करें और हाथ से कते सूत और हाथ से बुने कपड़े ही पहनें। इस तरह खादी राष्ट्रवाद का प्रतीक बनती चली गई और 1931 में चरखे को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिरंगे झंडे की बीच वाली पट्टी में जगह दी गई।

4.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

1 min • 1 pt

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

1. भारत में औद्योगिक सूती वस्त्रोत्पादन की पहली बड़ी लहर प्रथम विश्व युद्ध के समय दिखाई दी थी।

2. भारत में लोहे एवं इस्पात में औद्योगिक विस्तार प्रथम विश्व युद्ध के समय शुरू हुआ।

3. टीपू सुल्तान की तलवार में खास विशेषता वाली बुट्ज स्टील का प्रयोग हुआ था।उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

1,2 और 3

2 और 3

1 और 3

कोई नही

Answer explanation

उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।

भारत में औद्योगिक सूती वस्त्रोत्पादन की पहली लहर प्रथम विश्व युद्ध के समय दिखाई दी जब ब्रिटेन से आने वाले कपड़े की मात्रा में काफी कमी आ गई थी और सैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये भारतीय कारखानों से कपड़े का उत्पादन बढ़ाने की मांग की जाने लगी।

सूती कपड़े की तरह लोहे एवं इस्पात के मामले में भी औद्योगिक विस्तार तभी शुरू हुआ जब भारत में ब्रिटिश आयात गिरने लगा और भारतीय वस्तुओं की मांग बढ़ी।

टीपू सुल्तान की तलवार की धार इतनी पैनी थी कि वह लौह-कवच को भी आसानी से चीर सकती थी। इस तलवार में यह गुण कार्बन की अधिक मात्रा वाली वुट्ज नामक स्टील से पैदा हुआ था जो उस समय पूरे दक्षिण भारत में बनाई जाती थी। टीपू सुल्तान की तलवार की एक विशेषता यह भी थी कि उसकी मूठ पर कुरान की आयतें लिखी हुई थीं।

 

5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

1 min • 1 pt

निम्नलिखित में से किस स्थान पर भारत की पहली सूती कपड़ा मिल स्थापित हुई थी?

कलकत्ता

बम्बई

मदुरा

अहमदाबाद

Answer explanation

भारत में पहली सूती कपड़ा मिल 1854 में बम्बई में स्थापित हुई थी। यह कताई मिल थी।

 

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

1 min • 1 pt

भारत में लौह इस्पात कारखानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

1. भिलाई स्टील संयंत्र के लिये अयस्क की आपूर्ति का स्रोत ढूंढने में बंगाल के तांती समुदाय के लोगों ने सहायता की थी।

2. टिस्को (टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी) की स्थापना सुबर्णरेखा नदी के तट पर की गई थी।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

1

2

3

सभी

Answer explanation

भिलाई स्टील संयंत्र के लिये अयस्क की आपूर्ति का स्रोत ढूंढने में सहायता करने वाला समुदाय अगरिया समुदाय था। अगरिया जैसे कई समुदाय लोहा बनाने में माहिर थे। इन्होंने दुनिया के सबसे अच्छे बेहतरीन लौह अयस्क भंडारों में से एक राझरा पहाड़ियों को ढूंढने में भी भूवैज्ञानिक चार्ल्स वेल्ड और जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे की सहायता की थी। अतः कथन 1 गलत है।

बंगाल का तांती एक प्रसिद्ध बुनकर समुदाय है। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत के जुलाहे या मोमिन, दक्षिण भारत के साले व कैकोल्लार तथा देवांग समुदाय भी बुनकरी के लिये प्रसिद्ध था।

टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (टिस्को) की स्थापना जमशेदपुर में सुबर्णरेखा नदी के तट पर हुई जिसमें 1912 से स्टील का उत्पादन होने लगा।

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

1 min • 1 pt

निम्नलिखित में से कौन "लोहा इस्पात उद्योग" दुनिया का कारखाना कहलाया

ब्रिटेन

फ्रांस

इंग्लैंड

जर्मनी

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