अध्याय 18 – वायु तथा जल का प्रदूषण

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अध्याय 18 – वायु तथा जल का प्रदूषण

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5 questions

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1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

30 sec • 1 pt

जल प्रदूषण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

1. फसलों की सुरक्षा के लिये प्रयोग किये जाने वाले पीड़कनाशी (Pesticides) तथा अपतृणनाशी (Weedicides) जैसे रसायन भौम जल को प्रदूषित करते हैं।

2. विद्युत संयंत्रों तथा उद्योगों से निकला गर्म जल भी एक प्रदूषक होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

A

केवल 1

B

केवल 2

C

1 और 2 दोनों

D

न तो 1 और न ही 2

A

B

C

D

Answer explanation

Explanation

व्याख्याः

उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं। फसलों की सुरक्षा के लिये प्रयोग किये जाने वाले पीड़कनाशी तथा अपतृणनाशी जल में घुलकर जलाशयों में पहुँच जाते हैं। ये भूमि में रिसकर भी भौम-जल को प्रदूषित करते हैं। फसलों में प्रयुक्त उर्वरकों में उपस्थित नाइट्रेट एवं फास्फेट जैसे रसायन की मात्रा जलाशयों में अधिक होने से उसमें पोषकों की मात्रा बढ़ जाती है। इस कारण जलाशयों में बहुत से शैवाल उग जाते हैं।

जब शैवाल मरते हैं तो जीवाणु जैसे घटकों के लिये भोजन का कार्य करते हैं। ये घटक अत्यधिक ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। इससे जल में ऑक्सीजन के स्तर में कमी हो जाती है, जिससे जलीय जीव मर जाते हैं। जल की यह अवस्था हाइपॉक्सिया (Hypoxia) तथा यह पूरी प्रक्रिया सुपोषण (Eutrophication) कहलाती है।

विद्युत संयंत्रों तथा उद्योगों से आने वाला गर्म जल भी एक प्रदूषक होता है। यह जलाशयों के ताप में वृद्धि कर देता है, जिससे उसमें रहने वाले पेड़-पौधे व जीव जन्तुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कारखानों से निकलने वाले अशुद्ध जल से मृदा भी प्रभावित होती है, जिसके कारण उसकी अम्लीयता तथा कृमियों की वृद्धि में भी परिवर्तन हो जाता है।

2.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

30 sec • 1 pt

निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार कीजिये-

1. पेयजल को शुद्ध करने की सामान्य रासायनिक विधि क्लोरीनीकरण है।

2. गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिये गंगा कार्य परियोजना की शुरुआत 1985 में की गई थी।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

A

केवल 1

B

केवल 2

C

1 और 2 दोनों

D

न तो 1 और न ही 2

A

B

C

D

Answer explanation

Explanation

व्याख्याः

उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं। पेयजल को शुद्ध करने की सामान्य रासायनिक विधि क्लोरीनीकरण है। इस विधि के अनुसार जल में क्लोरीन की गोलियाँ अथवा विरंजक चूर्ण (Bleaching Power) मिलाया जाता है।

बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण गंगा नदी में कई स्थानों पर जलीय जीव नहीं रह पाते, वहाँ पर यह नदी निर्जीव हो गई है। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में इस नदी का सर्वाधिक प्रदूषित फैलाव है। 1985 में इस नदी को बचाने के लिये एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना आरम्भ की गई, जिसे गंगा परियोजना कहते हैं।

3.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

30 sec • 1 pt

निम्नलिखित गैसों पर विचार कीजिये-

1. कार्बन डाइऑक्साइड

2. नाइट्रस ऑक्साइड

3. मेथेन

4. जलवाष्प

उपर्युक्त में से कौन-सी गैसें ग्रीन-हाउस गैसें हैं?

A

केवल 1 और 2

B

केवल 1, 2 और 3

C

केवल 2, 3 और 4

D

1, 2, 3 और 4

A

B

C

D

Answer explanation

Explanation

व्याख्याः कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मेथेन तथा जलवाष्प सभी ग्रीन हाउस गैसें हैं। ये गैसें ऊष्मा को अवशोषित करती है जिससे वायुमण्डल गर्म रहता है। इन गैसों के इसी प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect) कहते हैं। इस प्रक्रम के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो सकता परंतु आवश्यकता से अधिक हो जाने से यही प्रक्रम अब चुनौती बन गया है।

4.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

30 sec • 1 pt

बहुत से देशों ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के लिये एक अनुबंध किया है। यह अनुबंध निम्नलिखित में से कौन-सा है?

A

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

B

क्योटो प्रोटोकॉल

C

नगोया प्रोटोकॉल

D

इनमें से कोई नहीं

A

B

C

D

Answer explanation

Explanation

व्याख्याः संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अन्तर्गत बहुत से देशों ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के लिये क्योटो प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये हैं। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओजोन तथा नगोया प्रोटोकॉल बायोडाइवर्सिटी से सम्बन्धित है।

5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

30 sec • 1 pt

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A

B

C

D

Answer explanation

Explanation

व्याख्याः

ईंधन के अपूर्ण दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है। यह विषैली गैस है। यह रुधिर की ऑक्सीजन वाहक क्षमता को घटा देती है।

क्लोरोफ्लोरो कार्बन जिनका उपयोग रेफ्रिजरेटरों, एयर कण्डीशनरों तथा ऐरॉसॉल फुहार (स्प्रे) में होता था, से वायुमण्डल की ओजोन परत क्षतिग्रस्त होती है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के बाद से लगभग सभी देशों में इसके स्थान पर कम हानिकारक गैसों का प्रयोग होने लगा है।

धुएँ में नाइट्रोजन के ऑक्साइड उपस्थित होते हैं जो अन्य वायु प्रदूषकों तथा कोहरे के संयोग से धूम-कोहरा (स्मॉग) बनाते हैं।

सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प से अभिक्रिया करके सल्फ्यूरिक तथा नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं। ये वर्षा को अम्लीय बनाकर वर्षा के साथ पृथ्वी पर बरस जाते हैं। इसे अम्ल वर्षा कहते हैं।