Bhagavad Gita As It Is DAY-39 (10.10-19)

Bhagavad Gita As It Is DAY-39 (10.10-19)

KG - Professional Development

20 Qs

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1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

भगवान् ने किस श्लोक में कहा है कि मैं हृदय से अज्ञानजन्य अंधकार को दूर करता हूँ?

तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम् ।

ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते ॥ 10.10 ॥

तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तम: ।

नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता ॥ 10.11 ॥

2.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

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बुद्धियोग क्या है? (10.10)

कृष्णभावनामृत में रहकर कार्य करना

जिससे मनुष्य भवबन्धन से छूटना चाहता है

जब कोई भगवद्धाम को जाना चाहता है

बुद्धि के द्वारा धनोपार्जन करना

3.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

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इनमें से क्या सही है? (10.10)

जब मनुष्य लक्ष्य तो जानता है, किन्तु कर्मफल में लिप्त रहता है, तो वह कर्मयोगी होता है

जब कोई लक्ष्य (कृष्ण) को समझने के लिए मानसिक चिन्तन का सहारा लेता है, तो वह ज्ञानयोग में होता है

जो लक्ष्य को जानकर कृष्णभावनामृत तथा भक्ति में कृष्ण की खोज करता है, तो वह भक्तियोगी या बुद्धियोगी होता है

4.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

प्रामाणिक गुरु के होते हुए तथा आध्यात्मिक संघ से सम्बद्ध रहकर भी प्रगति नहीं कर पाने वाले कम बुद्धिमान भक्त के पास क्या उपाय है? (10.10)

कृष्ण उसके अन्तर से उपदेश देते हैं, जिससे वह सरलता से उन तक पहुँच सके

आवश्यकता यह है कि वह कृष्णभावनामृत में निरन्तर रहकर प्रेम तथा भक्ति के साथ सभी प्रकार की सेवा करे

एकनिष्ठता से भक्तिकार्यों में रत रहने से भगवान् उसे अवसर देते हैं कि वह उन्नति करके अन्त में उनके पास पहुँचे

5.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

भक्तों तथा प्रामाणिक गुरु की संगति क्यों आवश्यक है? (10.10)

यह जानने के लिए कि उन्नति करने का चरम लक्ष्य कृष्णप्राप्ति है

उनके दिखाए पथ पर मन्दगति से प्रगति करने पर भी अन्तिम लक्ष्य प्राप्त हो जाता है

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

तत्कालीन बनारस के किस अत्यन्त प्रभावशाली विद्वान ने भगवान् चैतन्य को दार्शनिक दृष्टि से भोले भाले भावुक समझकर उपहास किया था? (10.11)

प्रबोधानन्द सरस्वती

निश्चलानन्द सरस्वती

दयानन्द सरस्वती

प्रकाशानन्द सरस्वती

7.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

यदि कोई भक्त भक्ति दर्शन के साहित्य का या अपने गुरु का लाभ न भी उठाये तो भी कृष्णभावनामृत में रत यह एकनिष्ठ भक्त कैसे ज्ञानरहित नहीं हो सकता? (10.11)

यदि वह पूर्ण कृष्णभावनामृत में रहकर भक्ति सम्पन्न करता रहे, तो उसके अन्तर से कृष्ण स्वयं उसकी सहायता करते हैं

जो लोग शुद्धभक्ति में रत हैं, भले ही वे पर्याप्त शिक्षित न हों तथा वैदिक नियमों से पूर्णतया अवगत न हो, किन्तु भगवान् उनकी सहायता करते ही हैं

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