Bhagavad Gita As It Is DAY-55 (14.18-27)

Bhagavad Gita As It Is DAY-55 (14.18-27)

KG - Professional Development

24 Qs

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Bhagavad Gita As It Is DAY-55 (14.18-27)

Bhagavad Gita As It Is DAY-55 (14.18-27)

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Life Skills, Philosophy, Special Education

KG - Professional Development

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24 questions

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1.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

किस श्लोक में बताया गया है कि अविचलित भाव से पूर्ण भक्ति में प्रवृत्त होते ही व्यक्ति प्रकृति के गुणों को लाँघ जाता है?

ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था मध्ये तिष्ठन्ति राजसा: ।

जघन्यगुणवृत्तिस्था अधो गच्छन्ति तामसा: ॥ 14.18 ॥

मां च योऽव्यभिचारेण भक्तियोगेन सेवते ।

स गुणान्समतीत्यैतान्ब्रह्मभूयाय कल्पते ॥ 14.26 ॥

ब्रह्मणो हि प्रतिष्ठाहममृतस्याव्ययस्य च ।

शाश्वतस्य च धर्मस्य सुखस्यैकान्तिकस्य च ॥ 14.27 ॥

2.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

इनमें से कौन से लोग इसी पृथ्वीलोक में रह जाते हैं? (14.18)

सतोगुणी व्यक्ति

रजोगुणी

अत्यन्त गर्हित तमोगुण में स्थित

3.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

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तमोगुण के विकास का क्या परिणाम होता है? (14.18)

अत्यन्त गर्हित (जघन्य) कहा गया है

अत्यन्त सुखद होता है

उत्तम योनियाँ प्राप्त होती हैं

भविष्य अत्यन्त प्रकाशमय होता है

सर्वोच्च अवस्था ब्रह्मलोक तक पहुँच सकते हैं

4.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

इनमें से सही नहीं है? (14.19)

कृष्णभावनाभावित व्यक्ति कभी भी प्रकृति के गुणों के चमत्कार से नियन्त्रित नहीं होता

जो व्यक्ति वस्तुओं को यथारूप में देख सकता है, उस पर प्रकृति का प्रभाव क्रमशः बढ़ता जाता है

प्रामाणिक गुरु से अपनी स्थिति समझने पर व्यक्ति पूर्ण कृष्णभावनामृत में स्थिर हो सकता है

5.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

समस्त कार्यों में प्रकृति के तीनों गुणों के अतिरिक्त अन्य कोई कर्ता नहीं है, इसका स्पष्टीकरण किन वाक्यांशों से प्राप्त होता है? (14.19)

वस्तुतः जीव विभिन्न कर्मों का कर्ता नहीं होता

जीव बाध्य होकर कर्म करता है

जीव पूर्ण कृष्णभावनामृत में स्थिर हो सकता है

जीव विशेष प्रकार के शरीर में स्थित रहता है

जीव के शरीर का संचालन प्रकृति का कोई गुण करता है

6.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

कोई कब जन्म, मृत्यु, बुढ़ापा तथा अनेक कष्टों से मुक्त हो सकता है? (14.20)

इस शरीर में तो संभव नहीं, मृत्योपरांत हो सकता है

इसी शरीर में कृष्णभावनाभावित होकर संभव है

आध्यात्मिक ज्ञान की उन्नति के द्वारा हो सकता है

इसी शरीर में आध्यात्मिक जीवन का सुखोपभोग संभव है

इसी जीवन में अमृत का भोग कर सकता है

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

देहधारी आत्मा के लिए भगवान् ने किस संस्कृत शब्द का प्रयोग किया है? (14.20)

देही

देह

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