Explanation
व्याख्याः
संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार संसद ‘किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या दो से अधिक राज्यों को मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकती है।’ वह किसी राज्य के सीमाओं या नाम में परिवर्तन कर सकती है, पर इस शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिये संविधान प्रभावित राज्य के विधानमंडल को विचार व्यक्त करने का अवसर देता है। अतः किसी राज्य के अस्तित्व और उसकी भौगोलिक सीमाओं के स्थायित्व पर संसद का नियंत्रण होता है।
‘आपातकालीन प्रावधान’ लागू होने पर संघीय व्यवस्था को एक अत्यधिक केन्द्रीयकृत व्यवस्था में बदल दिया जाता है इससे संसद को यह शक्ति प्राप्त हो जाती है कि वह उन विषयों पर भी कानून बना सके जो राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
‘नियोजन’ के कारण आर्थिक फैसले लेने की ताकत केन्द्र सरकार के हाथों में सिमट गई। केन्द्र सरकार अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर राज्यों को अनुदान तथा ऋण देती है।
राज्यपाल राज्य का प्रमुख होने के साथ-साथ केंद्र के प्रतिनिध के रूप में भी कार्य करता है। राज्यपाल को यह शक्ति प्राप्त है कि वह राज्य सरकार को हटाने तथा विधानसभा भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज सके। इसके अलावा राज्यपाल विधानमण्डल
द्वारा पारित किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिये सुरक्षित कर सकता है। इससे केन्द्र सरकार को यह अवसर मिल जाता है कि वह राज्य के कानून निर्माण में देरी कर सके और चाहे तो विधेयकों पर निषेधाधिकार (वीटो) का प्रयोग कर उसे पूरी तरह नकार दे।
हमारी प्रशासकीय व्यवस्था इकहरी है। अखिल भारतीय सेवाएँ पूरे देश के लिये हैं। इसमें चयनित पदाधिकारी राज्य प्रशासन में कार्यरत हैं। जिलाधीश तथा कमिश्नर के रूप में कार्यरत अधिकारियों पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण होता है। राज्य न तो उनके विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकता है न ही उन्हें सेवा से हटा सकता है।